Saturday, April 13, 2013

मेरा गाँव अच्छा है


बड़ा  भोला  बड़ा सादा बड़ा सच्चा है
तेरे  शहर से तो मेरा गाँव  अच्छा  है
वहां  मैं  मेरे  बाप के नाम से जाना जाता हूँ
और  यहाँ  मकान नंबर से पहचाना जाता हूँ
वहां  फटे कपड़ो में भी तन को ढापा जाता  है
यहाँ  खुले बदन  पे  टैटू  छापा  जाता  है
यहाँ  कोठी  है  बंगले है और कार  है
वहां  परिवार है और संस्कार है
यहाँ  चीखो की आवाजे दीवारों से  टकराती  है
वहां दुसरो  की  सिसकिया भी  सुनी  जाती  है
यहाँ  शोर  शराबे में मैं कही  खो जाता  हूँ
वहां  टूटी खटिया पर भी आराम से सो  जाता हूँ
यहाँ  रात को बहार निकलने में  दहशत  है
मत  समझो  कम हमें की हम  गाँव से  आये है
तेरे  शहर के बाज़ार  मेरे गाँव ने ही सजाये है
वहाँ  इज्जत  में सर सूरज की तरह ढलते है
चल आज  हम उसी गाँव में  चलते है
…………. उसी गाँव  में  चलते है

Pure Lochan Tiwari 

Friday, January 4, 2013

Education in the Indian Villages

India includes a wealthy tradition of education. The Indian individuals area unit cognizant of the benefits of education since the traditional amount and as a result, a correct instructional arrangement became necessary in most of Indian villages throughout ancient amount. The individuals wont to send their youngsters to colleges at associate degree early age and also the youngsters received their education on completely different subjects.

 The technically advanced era, has been liable for the advancement of the Indian villages that have additionally come back an extended means ranging from the net facilities to the foremost advanced instructional devices offered. the daddy of the state, nationalist leader once commented, "I am convinced that if Republic of India is to realize true freedom, and thru Republic of India, the planet additionally, then sooner or later it should be recognized that folks can ought to board villages, not towns; in huts, not palaces". India, being associate degree farming society, must have a robust labor category wherever each national would be educated enough to guide their lives in a very socially accountable manner.

Pure Lochan Tiwari

Friday, November 2, 2012

अपना गॉंव - Pure Lochan Tiwari


जन्मभूमि की सौंधी मिट्टी मे
हम प्रेमजल बरसायेंगे,
पिया लौट के आजा अपना गॉंव
हम सूखी रोटी ही खायेंगे।

अकेले खेतों के पगडंडी से
हम लकड़ी नही लायेंगे,
गॉंव के लोग घूरते हैं मुझको
हम पनघट पे कैसे जायेंगे।

पिया लौट के आजा अपना गॉंव
हम सूखी रोटी ही खायेंगे।

मर गई बकरी, दुबली है गैया
चारा क्या इसे खिलायेंगे?
बीमार पड़ी है खाट पे मैया,
दवा क्या इन्हें पिलायेंगे।

पिया लौट के आजा अपना गॉंव
हम सूखी रोटी ही खायेंगे।

हमें नही महलों का सपना
टूटी मड़ैया सा घर अपना,
इसी में खूशी के दो पल
हम सब साथ बितायेंगे।

पिया लौट के आजा अपना गॉंव
हम सूखी रोटी ही खायेंगे।

Pure Lochan Tiwari 

Saturday, June 16, 2012

Life In A Village- Pure Lochan Tiwari Ka Purwa

Pure Lochan Tiwari Ka Purwa
spirit of India lives in villages.70 percent of the population still lives in villages of India.villages have a very beautiful and good lifestyle. Villages are free from the hustle and bustle of a city life, villages are peaceful, calm, quite and full of greenery where one can breathe fresh air. The beauties of villages are described by the way villagers happily live in the small huts or a home, made by clay or mud. A big open area with trees at the front and a vegetable garden at the backyard, surrounded by the bamboos. The villagers are socially knit together, every evening they assemble in the village “Chopal” with their ‘hukkas’ and chatting and talking goes on till late the night.

Friday, June 8, 2012

Village Life Advantage (Pure Lochan Tiwari)

Village Life seems to be a bit more relaxed than city life . metro Cities living is fast paced and it seems you never have time. I and many people also notice that people living in villages sometimes are happier and less stressed. A village community is closely knit and people know each other. In a big cities people don't even know their neighbor's name.


and other advantages like , cleaner environment, less crowded schools, no traffic jams unless there's a road construction site or a minor car accident, much more polite people, less crowded shopping centers, no parking problems, faster and more polite Emergency .


Pure Lochan Tiwari

Tuesday, January 3, 2012

रात में सोए तो बन जाओगे पत्थर, खौफ ऐसा कि यूपी में हुआ रतजगा!

लखनऊ। यूपी के तमाम जिले में ना जाने कल कहां से एक अफवाह उड़ी कि आज रात जो भी सोएगा पत्थर का बन जाएगा। इस अफवाह का असर इतना ज्यादा हुआ कि यूपी के तमाम जिलों में लोगों ने रतजगा किया।
 
ये हाल सिर्फ कानपुर, सुल्तानपुर, रायबरेली, बाराबंकी, बहराईच, गोण्डा जैसे छोटे इलाकों में ही नहीं था बल्कि राजधानी लखनऊ के पढ़े-लिखे और जागरुक लोगों ने भी पूरी रात जागते हुए काटी।
 
किसी ने भी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि यह अफवाह कहां से उठी और किसने कही है। बस जितने मुंह उतनी बातें वाला हाल था कोई कह रहा था कि पंजाब से किसी ने बताया है तो कोई बता रहा था उसे दिल्ली से किसी का फोन आया था।
 
हद तो यह है कि आज सुबह होने के बाद ये अफवाहें उड़ रही हैं कि फलां जगह लोग पत्थर के बन गए और वहां तो पूरा का पूरा गांव पत्थर का बन गया।


इस अफवाह के कारण सबसे ज्यादा फजीहत छोटे-छोटे बच्चों की हुई जिन्हें रात भर उनके मम्मी-पापा ने मार-मार कर जगाए रखा। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी थे जो रात भर जागने के मजे उठाते रहे और पूरी रात फेसबुक और ट्विटर अपडेट करते रहे।
 
रात भर डर और खौफ की वजह से ना सोने वाले लोगों ने आखिरकार सुबह होते ही बिस्तर की ओर रुख किया लेकिन नींद तो वहां भी उनसे कोसों दूर थी।



Source  http://www.bhaskar.com/article/UP-OTH-rumor-blew-sleep-of-many-in-uttar-pradesh-2707135.html?HF-15=

Thursday, October 28, 2010

Bhatgawan and Gogmau Result of Panchayat election 2010

hi friend this is the detail of candidate who win the election in 2010 Bhatgawan and gogmau Gramsabha


Bhatgawan

Pradhani

Mahadev maurya (win)
Arjun maurya (second)

B D C
babban singh(win)
Shri chandra Bhanu Tripathi (second)


Gogmau

Pradhani

ram baran(win)
nanhe(second)

B D C
dr. Anil (win)
Vijay mangal singh(second)