जन्मभूमि की सौंधी मिट्टी मे
हम प्रेमजल बरसायेंगे,
पिया लौट के आजा अपना गॉंव
हम सूखी रोटी ही खायेंगे।
अकेले खेतों के पगडंडी से
हम लकड़ी नही लायेंगे,
गॉंव के लोग घूरते हैं मुझको
हम पनघट पे कैसे जायेंगे।
पिया लौट के आजा अपना गॉंव
हम सूखी रोटी ही खायेंगे।
मर गई बकरी, दुबली है गैया
चारा क्या इसे खिलायेंगे?
बीमार पड़ी है खाट पे मैया,
दवा क्या इन्हें पिलायेंगे।
पिया लौट के आजा अपना गॉंव
हम सूखी रोटी ही खायेंगे।
हमें नही महलों का सपना
टूटी मड़ैया सा घर अपना,
इसी में खूशी के दो पल
हम सब साथ बितायेंगे।
पिया लौट के आजा अपना गॉंव
हम सूखी रोटी ही खायेंगे।
Pure Lochan Tiwari