Saturday, April 13, 2013

मेरा गाँव अच्छा है


बड़ा  भोला  बड़ा सादा बड़ा सच्चा है
तेरे  शहर से तो मेरा गाँव  अच्छा  है
वहां  मैं  मेरे  बाप के नाम से जाना जाता हूँ
और  यहाँ  मकान नंबर से पहचाना जाता हूँ
वहां  फटे कपड़ो में भी तन को ढापा जाता  है
यहाँ  खुले बदन  पे  टैटू  छापा  जाता  है
यहाँ  कोठी  है  बंगले है और कार  है
वहां  परिवार है और संस्कार है
यहाँ  चीखो की आवाजे दीवारों से  टकराती  है
वहां दुसरो  की  सिसकिया भी  सुनी  जाती  है
यहाँ  शोर  शराबे में मैं कही  खो जाता  हूँ
वहां  टूटी खटिया पर भी आराम से सो  जाता हूँ
यहाँ  रात को बहार निकलने में  दहशत  है
मत  समझो  कम हमें की हम  गाँव से  आये है
तेरे  शहर के बाज़ार  मेरे गाँव ने ही सजाये है
वहाँ  इज्जत  में सर सूरज की तरह ढलते है
चल आज  हम उसी गाँव में  चलते है
…………. उसी गाँव  में  चलते है

Pure Lochan Tiwari